देश के जल संसाधानों के विकास और नियामकता हेतु नीति संबंधी दिशानिर्देश और कार्यक्रम तैयार का दायित्व जल शक्ति मंत्रालय का है। जलशक्ति मंत्रालय द्वारा दीर्घकालिक सिंचाई कोष को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के साथ जोड़ा गया है, ताकि नोडल एजेंसियों जैसे राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी और पोलावरण परियोजना प्राधिकरण के माध्यम से आंध प्रदेश सरकार को पोलावरण सिंचाई परियोजना के खर्चों की प्रतिपूर्ति की जा सके।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष की सिफारिशों के दृष्टिगत, कि यह उचित होगा कि इस परियोजना का कार्यान्वयन आंध्र प्रदेश सरकार (क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण परियोजना है और राज्य सरकार इसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए इच्छुक है) द्वारा किया जाए, इस परियोजना को भारत सरकार की ओर से राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जाने संबंधी राज्य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार सहमत हो गई है।
सचिव, जल शक्ति मंत्रालय के दिनांक 05/09/2016 के पत्र संख्या एस(डब्लयूआर)/विविध/2016 अनुसार, केन्द्र सरकार द्वारा पोलावरम परियोजना के निधियन हेतु दिनांक 30.09.2016 को फा. सं. 1(2)/पीएफ-1/2014(पार्ट) के माध्यम से भारत सरकार के वित्त मंत्री का अनुमोदन सम्प्रेषित किया गया कि केंद्र सरकार दिनांक 01/04/2014 से लेकर उक्त तिथि तक, सिंचाई घटक की लागत सीमा तक, पोलावरम परियोजना के बाकी लागत के केवल सिंचाई घटक की लागत का 100% वित्तपोषण करेगी।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के अनुसार, पोलावरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है और लोक हित में यह उचित है कि पोलावरम सिंचाई परियोजना के नियामन और विकास के कार्य को संघ सरकार अपने नियंत्रण में ले। अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार को परियोजना को क्रियान्वित करना होगा और पर्यावरण, वन, और पुनर्वास और पुनर्विस्थापन नियम सहित सभी आवश्यक मंजूरियां प्राप्त करनी होगी।
अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार को परियोजना को क्रियान्वित करना होगा और पर्यावरण, वन, और पुनर्वास और पुनर्विस्थापन नियम सहित सभी आवश्यक मंजूरियां प्राप्त करनी होगी।
भारत सरकार की ओर से, आंध्र प्रदेश सरकार का जल संसाधन विभाग, पोलावरम सिंचाई परियोजना (पीआईपी) के संबंध में एक कार्यकारी एजेंसी के रूप में कार्य रहा है। पीआईपी की देख-रेख का कार्य मुख्य अभियंता, पीआईपी, जल संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है जबकि भूमि अधिग्रहण और आरएंडआर के कार्य को विशेष आयुक्त (आरएंडआर) की निगरानी में किया जा रहा है।
नये बने राज्य तेलंगाना द्वारा पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए सहमति दी गई मानी जाएगी।
अधिनियम के उक्त प्रावधानों के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु केंद्र सरकार ने पोलावरम परियोजना प्राधिकरण और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण शासी निकाय का गठन किया है।
दिनांक 28 मई 2014 की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, पोलावरम परियोजना प्राधिकरण का एक शासी निकाय होगा, जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे:
शक्तियां, कार्य और दायित्व :
दिनांक 28 मई 2014 की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, पोलावरम परियोजना प्राधिकरण (इसके पश्चात प्राधिकरण के रूप में संर्दर्भित) नामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा;
1. प्राधिकरण में एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और ग्यारह सदस्य, निम्ननुसार, होंगे ;
(i) मुख्य कार्यकारी अधिकारी – अध्यक्ष
(ii) नये राज्य तेलंगाना के प्रधान सचिव अथवा सचिव, सिंचाई अथ्वा जल संसाधन विभाग - सदस्य
(iii) आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य के प्रमुख सचिव या जलसंचयन या जल संसाधन विभाग के सचिव - सदस्य
(iv) आयोजना और डिज़ाइन और पावर विंग के प्रभारी के रूप में दो मुख्य अभियंता ( वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड) केन्द्रीय जल अभियंता (ग्रुप 'क') सेवा और केन्द्रीय विद्युत अभियंता (ग्रुप 'क') सेवा प्रत्येक से एक-एक अभियंता – सदस्य
(v) बांध और सम्बद्ध संरचनाओं, पावर हाउस और संबंधित कार्यों और नहर- प्रणाली के प्रभारी के रूप में राज्य सरकार द्वारा तैनात किए जाने वाले तीन अभियंता - सदस्य
(vi) आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के भूमि- अधिग्रहण और पुनर्वास के प्रभारी आयुक्त – सदस्य
(vii) वित्तीय सलाहकार, जल संसाधन मंत्रालय - सदस्य
(viii) केंद्रीय जल अभियांत्रिकी (समूह 'क') सेवा से एक मुख्य अभियंता (वरिष्ठ प्रशासनिक श्रेणी) - सदस्य सचिव
2. मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सदस्यों को क्र. सं. (iv), (v) और (viii) पर केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा, जैसा भी मामला हो, पूर्णकालिक आधार पर प्राधिकरण में तैनात किया जाएगा।
शक्ति, कार्य और कर्तव्य:
परियोजना के समयबद्ध निष्पादन हेतु भारत सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश सरकार का जल संसाधन विभाग पोलावरम सिंचाई परियोजना (पीआईपी) की निष्पादन एजेंसी है। मुख्य अभियंता, पीआईपी, डब्ल्यूआरडी द्वारा पीआईपी की निगरानी की जा रही है, जबकि एलए और आरएंडआर कार्यों की देखरेख आंध्र प्रदेश सरकार के विशेष आयुक्त (आरएंडआर), डब्ल्यूआरडी, द्वारा की जा रही है।
विशेष मुख्य सचिव जल संसाधन विभाग के प्रमुख हैं और परियोजना के समग्र निष्पादन की देखरेख मुख्य अभियंता, पीआईपी द्वारा की जा रही है।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) जोकि जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत जल संसाधन के क्षेत्र में एक शीर्ष तकनीकी संगठन है, को जीडब्ल्यूडीटी अवार्ड के तहत निहित प्रावधानों के अनुसरण में परियोजना के डिजाइन घटकों के पुनरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पोलावरम परियोजना प्राधिकरण और केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला (सीएसएमआरएस) के बीच 12.02.2018 को गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन सलाहकार से संबंधित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
आंध्र प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग के निदेशानुसार सीडब्ल्यूपीआरएस पोलावरम सिंचाई परियोजना के विभिन्न घटकों के लिए मॉडल अध्ययन करने और परामर्श देने के कार्य में संलग्न है।
वाप्कोस लिमिटेड, जोकि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में एक मिनी रत्न -1 सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, को पोलावरम परियोजना प्राधिकरण द्वारा परियोजना निगरानी और समन्वय सलाहकार (पीएमसीसी) का कार्य सौंपा गया है।
पीएमसीसी के दायित्वों में परियोजना को समयबद्ध रूप से पूरा करने हेतु सभी सिविल कार्यों, एलए एंड आरआर गतिविधियों को शामिल करते हुए परियोजना संबंधी विभिन्न पहलुओं की निगरानी और समन्वय कार्य शामिल हैं। साथ ही इसमें वास्तविक और वित्तीय प्रगति, गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन और विभिन्न संविदात्मक और तकनीकी पहलू तथा समयबद्ध तरीके कार्यों को पूरा करने हेतु पीपीए और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को कार्यों की प्रगति में तेजी लाने संबंधी सुझावों से अवगत कराना भी शामिल हैं।
जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग ने पोलावरम परियोजना के तकनीकी रूप से सुदृढ़ और समयबद्ध निष्पादन हेतु सीडब्लयूसी के पूर्व अध्यक्ष ए. बी. पांड्या की अध्यक्षता एक बांध डिजाइन समीक्षा पैनल गठित किया है।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय की सहमति से सदस्य (डब्ल्यूपीएंडपी), सीडब्ल्यूसी, नई दिल्ली की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।
सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा एक निगरानी समिति का गठन किया गया है।